एक बेवफा को हमने इस दिल मे जगह दी थी
ख्वाबो की दुनियाँ अपनी उस से ही सजा दी थी
चाहा था उसको हमने खुद से भी बहुत बढकर
उस चाहत मे हमने ये हस्ती ही मिटा दी थी
मालूम नही था हमको वो बेवफा भी होगा
उस पर भरोसा कर के खुद को ही सज़ा दी थी
सोचा था साथ मिलके काटेंग़े ज़िन्दगी को
उसने तो एक पल मे हर बात भुला दी थी
कैसे सितम है देखो वो कब से जुदा है
अपनी ज़िन्दगी जिसका साया सा बना दी थी
किया था उस पर भरोसा क्यो हद से बढकरु
उसकी जफा ने दिल मे एक हलचल सी मचा दी थी
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